श्रीराम शलाका प्रश्नावली (Shri Ram Shalaka Prashnavali)

श्सर्वप्रथम प्रभु श्री राम का सच्चे हर्दय से ध्यान करते हुए अपने मन में अपना प्रश्न सोचें जिस पर आप प्रभु की कृपा चाह रहे है, फिर उस कार्य की सफलता की प्रार्थना करते हुए नीचे दिए गए “किसी भी शब्द पर अपनी आंख बंद करके क्लिक कर दें .

चौपाई :सुनु सिय सत्य असीस हमारी। पूजहि मन कामना तुम्हारी॥
अर्थ:यह चौपाई बालकाण्ड मे सीता जी को गौरी जी का आशिर्वाद है। प्रश्न उत्तम है कार्य सिद्ध होगा।
चौपाई :प्रबिसि नगर कीजे सब काजा। हृदय राखि कोसलपुर राजा॥
अर्थ:यह चौपाई सुन्दरकाण्ड मे हनुमान जी के लंका मे प्रवेश करने के समय की है। अर्थ यह है कि भगवान के नाम का स्मरण करते हुये कार्य शुरू करें सफलता मिलेगी।
चौपाई :उघरहिं अंत न होइ निबाहू। कालनेमि जिमि रावन राहू॥
अर्थ:यह चौपाई बालकाण्ड के आरम्भ की है। कार्य की सफलता मे संदेह है।
चौपाई :बिधि बस सुजन कुसंगत परहीं। फनि मनि सम निज गुन अनुसरहीं॥
अर्थ: यह चौपाई बालकाण्ड के आरम्भ की है। अर्थ यह है कि बुरे लोगों का संग छोड़ दें कार्य की सफलता मे संदेह है।
चौपाई :होइहि सोइ जो राम रचि राखा। को करितर्क बढ़ावै साखा॥
अर्थ:यह चौपाई बालकाण्ड शिव पार्वती संवाद मे है। कार्य पूरा होने मे संदेह है। प्रभु पर छोड़ दें।
चौपाई :मुद मंगलमय संत समाजू। जो जग जंगम तीरथ राजू॥
अर्थ:यह चौपाई बालकाण्ड मे संत समाजरुपी तीर्थ वर्णन मे आती है। अर्थ यह है कि कार्य सिद्ध होगा।
चौपाई :गरल सुधा रिपु करहिं मिताई। गोपद सिंधु अनल सितलाई॥
अर्थ:यह चौपाई सुन्दरकाण्ड मे हनुमान जी के लंका मे प्रवेश करने के समय की है। प्रश्न बहुत श्रेष्ठ है कार्य सिद्ध होगा।
चौपाई :बरुन कुबेर सुरेस समीरा। रन सन्मुखधरि काहु न धीरा॥
अर्थ:यह चौपाई रावण वध पर मंदोदरी के विलाप के संदर्भ मे है। कार्य पूरा होने मे संदेह है।
चौपाई :सुफल मनोरथ हो हुँ तुम्हारे। रामु लखनु सुनि भए सुखारे॥
अर्थ:यह चौपाई विश्वामित्र का आशिर्वाद है। प्रश्न उत्तम है कार्य सिद्ध होगा।

श्रीराम शलाका चौपाई (Shri Ram Shalaka Chaupai)

श्रीराम शलाका प्रश्नावली (Shri Ram Shalaka Prashnavali)

इस श्री राम शलाका में कुल 9 चौपाई है। जिसके आधार पर हमें उनसे अपने प्रश्न का उत्तर प्राप्त होता है।

सुनु सिय सत्य असीस हमारी। पूजिहि मन कामना तुम्हारी।

यह चौपाई बालकाण्ड में श्रीसीताजी के गौरीपूजन के प्रसंग में है। गौरीजी ने श्रीसीताजी को आशीर्वाद दिया है।

फलः- प्रश्नकर्त्ता का प्रश्न उत्तम है, कार्य सिद्ध होगा।

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा। हृदय राखि कोसलपुर राजा।

यह चौपाई सुन्दरकाण्ड में हनुमानजी के लंका में प्रवेश करने के समय की है।

फलः-भगवान् का स्मरण करके कार्यारम्भ करो, सफलता मिलेगी।

उघरें अंत न होइ निबाहू। कालनेमि जिमि रावन राहू।।

यह चौपाई बालकाण्ड के आरम्भ में सत्संग-वर्णन के प्रसंग में है।

फलः-इस कार्य में भलाई नहीं है। कार्य की सफलता में सन्देह है।

बिधि बस सुजन कुसंगत परहीं। फनि मनि सम निज गुन अनुसरहीं।।

यह चौपाई बालकाण्ड के आरम्भ में सत्संग-वर्णन के प्रसंग में है।

फलः-खोटे मनुष्यों का संग छोड़ दो। कार्य की सफलता में सन्देह है।

होइ है सोई जो राम रचि राखा। को करि तरक बढ़ावहिं साषा।।

यह चौपाई बालकाण्डान्तर्गत शिव और पार्वती के संवाद में है।

फलः-कार्य होने में सन्देह है, अतः उसे भगवान् पर छोड़ देना श्रेयष्कर है।

मुद मंगलमय संत समाजू। जिमि जग जंगम तीरथ राजू।।

यह चौपाई बालकाण्ड में संत-समाजरुपी तीर्थ के वर्णन में है।

फलः-प्रश्न उत्तम है। कार्य सिद्ध होगा।

गरल सुधा रिपु करय मिताई। गोपद सिंधु अनल सितलाई।।

यह चौपाई श्रीहनुमान् जी के लंका प्रवेश करने के समय की है।

फलः-प्रश्न बहुत श्रेष्ठ है। कार्य सफल होगा।

बरुन कुबेर सुरेस समीरा। रन सनमुख धरि काह न धीरा।।

यह चौपाई लंकाकाण्ड में रावन की मृत्यु के पश्चात् मन्दोदरी के विलाप के प्रसंग में है।

फलः-कार्य पूर्ण होने में सन्देह है।

सुफल मनोरथ होहुँ तुम्हारे। राम लखनु सुनि भए सुखारे।।

यह चौपाई बालकाण्ड पुष्पवाटिका से पुष्प लाने पर विश्वामित्रजी का आशीर्वाद है।

फलः-प्रश्न बहुत उत्तम है। कार्य सिद्ध होगा