बैजनाथ धाम कैमूर बिहार
रामगढ़ प्रखंड क्षेत्र का बैजनाथ धाम तंत्र साधना में अद्वितीय माना जाता है। झारखंड प्रदेश के देवघर में स्थित बैजनाथ धाम की तर्ज पर कैमूर जिले के रामगढ़ प्रखंड स्थित इस बैजनाथ धाम को विकास की दरकार है। धाम स्थल पर प्रति वर्ष सावन माह में जिले व प्रदेश के ही नहीं बल्कि यूपी के विभिन्न जिलों से श्रद्धालु यहां पहुंच कर जलाभिषेक करते हैं तथा तंत्र मंत्र की सिद्धि करते हैं। भोलेनाथ के त्रिशूल पर यह गांव बसा हुआ है। यहां महाशिवरात्रि को ले कावंरियों के आने के लिए तैयारी शुरु हो गई है। इसी कारण यह बैजनाथ धाम तंत्र साधना के ²ष्टिकोण से देश के अन्य मंदिरों की तरह महत्वपूर्ण है।
मंदिर का इतिहास-
मध्यप्रदेश के खजुराहो की तर्ज पर बने बैजनाथ धाम मंदिर के संबंध मे अंग्रेज सर्वेयर फ्रांसिक बुकानन की 13 फरवरी 1813 ई.सन के यात्रा के विवरण में पुराने मंदिर के ध्वस्त होने व नए मंदिर के निर्माण का उल्लेख किया है। बुकानन को मिले स्तम्भ पर मकरध्वज योगी 700 लिखा हुआ है। बुकानन की डायरी के संपादक ओल्ड हैम ने लिखा है कि मदन पाल देव द्वितीय गढ़वाल राजा थे। सुईर राजा मदन पाल देव ने इस मंदिर का निर्माण कराया है। इतिहासकार गौरिक ने भी लिखा है कि बैजनाथ धाम में 22 लघु स्तंभ मिले हैं। जिनपर अपसराओं की प्रतिमा का वर्णन है। जो वर्तमान समय में भी विराजमान है।
मंदिर की विशेषता
रामगढ़ प्रखंड क्षेत्र के मसाढ़ी पंचायत मे पड़ने वाला गांव बैजनाथ धाम की चर्चा दूसरे प्रदेशों तक है। यहां तंत्र साधना के लिए चार कुंड रूद्र कुंड, ब्रम्हा कुंड, विष्णु कुंड, व ध्रुव कुंड आज भी विराजमान है। यह गांव के चारों दिशा मे स्थापित है। मंदिर में त्रिमूर्ति भैरव, गणेश, नृत्यरत शिव, वराही, सरस्वती व मां दुर्गा की प्रतिमा भी स्थापित है। मंदिर के गर्भ गृह से सटे दो सुरंग जो ढंककर रखा गया है। उसमें कई राज दफन है।
मंदिर की भव्यता
लगभग एक बीघे भूमि पर इस भव्य मंदिर की स्थापना हुई है। मंदिर से लगभग 100 मीटर की दूरी पर चार एकड़ भूमि में भव्य तालाब निर्मित हैं। जिसके चारों कोने पर साधना कुंड बने हुए हैं। मंदिर के गर्भ गृह में बनी अपसराओं की प्रतिमाओं से यह प्रतीत होता है कि यह मंदिर आदि काल का है।